भारतीय भाषा केन्द्र (हिन्दी, उर्दू)
‘भारतीय भाषा केन्द्र’ भाषा और साहित्य के अध्ययन-अध्यापन के साथ विद्यार्थियों में उच्चस्तरीय शोध-अभिरुचि विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह भाषा और साहित्य के माध्यम से भारतीय समाज की बहुआयामी सांस्कृतिक विविधताओं का अध्ययन करता है। यह साहित्य और समाज की उत्कृष्ट परंपराओं एवं विरासत को अक्षुण्ण रखते हुए, रचनाशीलता के विकास तथा ज्ञान के नये अनुषासनों की रचना एवं उनमें परस्पर संवाद की ओर उन्मुख है। इसके साथ, यह केन्द्र बदलते वैश्विक परिदृश्य में नयी तकनीक एवं संचार की दिशा में अग्रसर होते हुए, भारतीय भाषाओं को रोजगारपरक बनाने के लिए भी प्रयासरत है। वर्तमान में इस केंद्र में ‘एम.ए. हिन्दी’ और ‘पी-एच.डी. हिन्दी’ के पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं । एम.ए. हिंदी पाठ्क्रम : वर्तमान में संचालित ‘स्नातकोत्तर हिंदी पाठ्क्रम’ हिंदी भाषा और साहित्य में नवीन एवं मौलिक शोध में रुचि रखनेवालों के साथ उनके लिए भी उपयोगी है, जो अनुवाद, सर्जनात्मक लेखन, अखबार, टेलीविजन, सिनेमा और नये मीडिया में अपनी प्रतिभा का विनियोग करना चाहते हैं ।
यह पाठ्यक्रम अध्यापक और विद्यार्थी के अंतःसंबंध, उनकी परस्पर-संदर्भित स्वायत्तता और अंतरानुशासनात्मकता के साथ विशेषज्ञता पर जोर देता है, इसलिए इस पाठ्यक्रम में अनिवार्य कोर्स के साथ वैकल्पिक विषयों के अध्ययन-अध्यापन का भी प्रावधान किया गया है । इसका उद्देश्य मौखिक एवं लिखित भाषिक दक्षता और विश्लेषण-क्षमता विकसित करने के साथ-साथ, हिंदी साहित्य को हिंदीतर भारतीय साहित्य, विश्व-साहित्य तथा ज्ञान के विविध अनुशासनों के परिप्रेक्ष्य में समझना है। इस पाठ्यक्रम की सहायता से विद्यार्थियों में साहित्य की विविधरूप आस्वादन-क्षमता का ही नहीं, बल्कि ज्ञान व जीवन के विविध आयामों में प्रयोग करने योग्य आलोचनात्मक विवेक का भी विकास सम्भव है ।
पाठ्यक्रम के अंतर्गत स्नातकोत्तर स्तर पर ही विद्यार्थियों को शोध की दिशा में उन्मुख और प्रशिक्षित किया जाना भी लक्ष्यीभूत है । यहाँ कार्यशाला, संगोष्ठी, परियोजना-कार्य और इंटर्नशिप के माध्यम से पाठ्यक्रम के उद्देश्यों को पूरा किया जाता है। साथ ही, हिंदी भाषा और साहित्य के अध्यापकों के अलावा अन्य अनुशासनों के विशेषज्ञों से भी संवाद होता है, ताकि अंतरानुशासनात्मकता एवं विशेषज्ञता के उद्देश्यों को वास्तविक अर्थों में पूरा किया जा सके।