Vision
- भारतीय समाज की बहुस्तरीय एवं बहुआयामी सांस्कृतिक विविधताओं के अध्ययन, सम्बद्ध शोध - अभिरुचि का विकास एवं शोध - कार्य तथा वर्तमान वैश्विक परिदृश्य के संदर्भ में होने वाले परिवर्तनों के साथ ज्ञान के संबंध का विश्लेषण 'हिन्दी विभाग' की प्राथमिकता है । यह 'विभाग' ज्ञान और रचनात्मकता को विषयों की रूढ़ सीमा में क़ैद नहीं मानता इसलिए अंतर-अनुशासनिक दृष्टि से ज्ञान के नए क्षितिजों की खोज करना तथा भाषा - साहित्य से संबंधित अलक्षित क्षेत्रों में शोध कार्य करना, इस के उद्देश्यों में शामिल है।
- 'हिन्दी विभाग' भाषा और साहित्य के अध्ययन-अध्यापन और उसमें अनुसंधान को विविध तरह के स्तरीकरणों एवं विषमताओं से बनी सामाजिक जटिलताओं को शिथिल करने की दिशा में एक अनिवार्य उपकरण के रूप में भी देखता है तथा तदनुसार अपनी पाठ्यचर्या (पाठ्यक्रम, शिक्षण विधि और पाठ्यसहगामी गतिविधियों आदि) को अद्यतन करने की दिशा में सदा सचेष्ट रहता है। संवेदनात्मक ज्ञान एवं ज्ञानात्मक संवेदना के विकास के साथ तर्क, संवाद और लोकतांत्रिक मूल्य 'हिन्दी विभाग' की परिकल्पना में अनुस्यूत हैं।
- 'हिन्दी भाषा और साहित्य' के शिक्षण को रोजगारोन्मुख बनाने के लिए भी यह ' विभाग ' सतत् प्रयत्नशील है। देश के विभिन्न हिन्दी विभागों के बीच एक विशिष्ट पहचान के लिए यह 'विभाग' प्रतिबद्ध है।
Mission
- हिन्दी साहित्यकारों, काव्यशास्त्रियों और भाषाविदों की स्मृति में कम से कम दो व्याख्यानमालाओं की शुरुआत करना
- हिन्दी भित्ति-पत्रिका का प्रकाशन करना
- विभागीय ब्लॉग का निर्माण करना
- मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान से जुड़े नवीन शोध और हिन्दी की बहुविध रचनाशीलता से समन्वित छमाही हिन्दी पत्रिका का नियमित प्रकाशन शुरू करना
- गया क्षेत्र में अस्थायी/स्थायी निवास करने वाले विदेशी नागरिकों के लिए हिन्दी प्रशिक्षण का अल्पकालिक सर्टिफिकेट/डिप्लोमा कोर्स आरम्भ करना
- सामाजिक एवं लैंगिक न्याय में विस्तार हेतु सक्रिय रूप से भागीदार होने की दिशा में समाज के वंचित समूहों से संबद्ध अध्ययन के लिए ‘सावित्री बाई फुले पीठ’ की स्थापना करना
- ‘मीडिया और रचनात्मक लेखन’ विषय में हिन्दी माध्यम से स्नातकोत्तर डिप्लोमा कोर्स शुरू करना
- दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय, गया के पार्श्ववर्ती क्षेत्रों में विद्यमान लोक-साहित्य का सर्वेक्षण और दस्तावेजीकरण करना
- गया क्षेत्र में बौद्ध और वैष्णव परम्पराओं में परस्पर संवाद के संदर्भ में अनुसंधान हेतु ‘सरहपा शोध पीठ' की स्थापना करना